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Showing posts from May, 2020

01/06/2020. P/75

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हिन्दी/ /////// अगले दिन मै और बिजेंद्र सर गए दाखिले के लिए प्रधानाचार्य ने मुझे मुझसे ७ के पहाडे सुने और मुझे ६ कक्षा में दाखिला दे दिया। अगले दिन मै स्कूल में गया क्लास ढूंढने में मुश्किल नहीं हुई। होम दो लडके जिनके पास पावर थी। पहला था ,चंदन और दूसरे का नाम दीपक था। , दोनों कमिने एक ही थाली के चट्टे बट्टे थे। एक साथ थे। दोनों शास्त्री कुटी के कैप्टन थे। एक बड़ा और एक छोटा कैप्टन दीपक भी ६ क्लास का विद्यार्थी था। पहला दिन उसके साथ स्कूल में जाने वाला था सुबह में ९ बजे का स्कूल था। दीपक ने मुझे ९:३० तक तैयार होने को बोला था। मै सोच रहा था स्कूल तो ९ बजे का है और ये ९:३० पर चलने को बोल रहा है। पहला दिन और जाते ही ठुकाई होगी पर दीपक को तो कोई फिक्र ही नहीं थी अगले दिन मै दीपक के साथ  स्कूल के लिए निकला ९:३० पर स्कूल ९:४५ पर पहुंच गया। स्कूल का माहौल कुछ यैसा था। ग्राउंड में पानी भरा था। और बड़ी - बड़ी झाड़ियां उगी थी। जैसे किसी नहर में उगी होती थी। झाड़ियां इतनी बड़ी - बड़ी थी कि कोई भी उसमे जाके छुप जाए। मेंढ़क बहुत तेज - तेज आवाज कर थे। इसे देख कर समझ में आया कि दीपक क्यो ९ बजे की

31/05/2020. P/74

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हिन्दी/ /////// विजेंद्र सर हमेशा मुझे ही ढूंढते थे कपडे धुलने के लिए में एक लडके जिसका नमे बलराज था उससे पूछा कि यार हमेशा मुझे ही कपडे धुलने के लिए क्यो पकड़ते है। तो उसने कहा को नए होते है। उन्हें कंट्रोल करने के लिए उनसे ही सारा काम करवाया जाता है। उस समय होम में चार लड़कों का रोंब था पेहला था , स्वयं और दूसरे का नाम ,जनोला था।तीसरे का नाम चंदन, और चौथा दीपक, उससे पहले जो था उसका नाम फैयुम लडके बताते थे। कि वो बहुत मारता था जो उसकी बात नहीं मानता था। जब होम से वो छूटा तो जिन लड़कों को उसने मेरा था उन लोगो ने उसे ग्रुप बनाकर पकड़ लिया और उसके चेहरे पर ब्लेड मार दिया। मेरा ६वी क्लास का पेपर छूट गया था। और गर्मियों की छुट्टियों पड़ गई थी १ महीना १० दिन का लेकिन होम वालो के लिए १ महीना २० दिन का क्योंकि स्कूल खुलने के १० दिन तक तो होम वाले स्कूल जाते ही नहीं थे। स्कूल खुलने के बाद विजेंद्र सर ने कहा बेटा नरेला में तू पड़ता था क्या तो मैंने बताया कि मैंने अपनी ६वी का फाइनल पेपर नहीं दे पाया था। जिसकी वजह से फेल हो गया था। तो विजेंद्र सर ने कहा मै तेरा नरेला से ६ वी का मार्कशीट निकाल

30/05/2020. P/73

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हिन्दी/ /////// अलीपुर होम का खेल का मैदान बहुत बड़ा है। इतना बड़ा कि होम में  बगीचे को साफ़ रखने वाले भी दो महीने में एक बार या फिर सा ६ महीने में एक बार साफ करते थे। खेल के मैदान के चारों तरफ ट्रैक बना था दौड़ने के लिए जिसपे कभी - कभी लडके दौड़ते थे। सही ढंग से देखभाल नही करने से खेल के मैदान में झाड़ियां उग गई थी और सर्प दिखना तो आम बात हो गई थी। एक दिन मै एक गार्ड  का साइकल ट्रैक पर चला रहा था। खेल के मैदान में बड़ी - बड़ी झाड़ियां थी। और मै ट्रैक पर साइकल तेजी से चला रहा था। तभी अचानक से एक सर्प ट्रैक पर आ गया सर्प इतनी तेजी से निकला था। कि मैं साइकल नहीं रोक सकता था। तो मैंने अपने पैर पेडल से उपर उठा लिया और साइकल को सर्प पर चदा दिया। पहला चक्का तो पार कर गया लेकिन दूसरा चक्का फिसल गया मै तीन या चार मीटर दूर जाकर गिरा और गिरते हो साइकल छोड़ कर भागा पीछे मुड़ कर देखा भी नहीं थोड़ी देर बाद आया बड़ा डंडा लेकर साइकल के आस पास देखा की कही सर्प साइकल में फस तो नहीं गया है। लेकिन एंसा नहीं था। सर्प वहा से का चुका था। मैंने साइकल उठाया और ले जाकर जिसकी साइकल थी। और जहा वो खड़ा करता था

29/05/2020. P/72

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हिन्दी/ /////// मगध लीला होम कि लेडी केयर टेकर जो हंसराज सर के साथ लड़कों को स्कूल ले जाती थी। और स्कूल ड्रेस की जिम्मेदारी उनकी थी। खत्री सर जो केयर टेकर थे। उनकी जॉब थी बीमार लड़कों को हॉस्पिटल ले जाना। धन सिंघ होम केयर टेकर स्कूल जाने के बाद जो लडके बच जाते थे। उन्हें होम में नियंत्रण करना या कहे कि होम में देखभाल करना। हरी प्रशाद होम में साफ सफाई की जिम्मेदारी थी लेकिन वो करने के बजाय लड़कों से करवाता था। और जो उसकी बट नहीं मानता था उस उसे बहुत बुरी तरह से मारता था। किचेन कुक में मंगल सिंघ और टूल्ली सिंह , मंगल सिंघ किचेन में कुक था। लेकिन किचेन में काम लडके करते थे। अगर नहीं मानते थे तो उन्हें किचेन के पलटे (जिससे चावल घुमाते है) उससे पीटता और थप्पड़ लात घुसे उठा कर पटकना जिससे लडके डरते थे। टुल्ली को लडके टूल्ली बापू बोलते थे। टूल्ली बापू समोसे पकोड़े , मिठाई इन चीजों की लालच देकर काम करवाता था। सबसे लास्ट और होम इंचार्ज ' नेकी सर  जिससे सबसे ज्यादा बुरा मानते थे। वो इसलिए को होम कोई भी चीज न्यू मिलता किसी त्यौंहार के दिन जैसे कपडे, जूते, तो नेकी सर उसे दो तीन घंटे बाद सभ

28/05/2020. P/71

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हिन्दी/ /////// अलीपुर दिल्ली ११००३६ में दो होम थे। जिस होम में में था। वहा के स्टाफ के नाम और उनके शौख या यूं कहे कि आदत , बिजेंद्र सिर केयर टेकर थे लड़कों को नेहलाना और कपडे चेंज करवाना और कपडे धुलवाना सभी के नाखून और बाल चेक करना और और देखना की कोई लड़का बीमार तो नहीं है उनकी किसी एक्सिडेंट में दाहिने हाथ का आगुथा कट कर अगल हो गया था। जो दुबारा नहीं लगाया जा सकता था। जिसके कारण उनके दाहिने हाथ में चार ही अगुली थी। और लडके उन्हें चार नुन्नन भाईसाहब कहते थे। वो बच्चो से भूत प्यार करते थे। अगर कोई बीमार हो तो उसकी स्पेशल ख्याल रखते थे। गुस्सा आने पर वो किसी झाड़ी कि पतली सी संटी ले लेते और जोर - जोर से उसे भाजते और आवाज करते और लडके डर से भागने लगते। जब वो सुबह में सभी लड़कों को एक साथ लाइन में खड़ा करते तो हर कोई छुपने की कोशिश करता। मै भी छुपता क्योंकि वो कपडे धुलने के लिए सभी को बुलाते थे। हंसराज सर , हंसराज सर का काम था। सभी लड़कों को स्कूल ले जाना और वापस जाना और ये भी सुनिश्चित करना कि कोई स्कूल से ना भाग पाए। हंसराज सर के बाए हाथ के चार उगली किसी एक्सिडेंट में कट गई थी जिसकी

27/05/2020. P/70

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हिन्दी/ /////// टाइम बीतने के साथ होम में लड़कों की संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही थी। मेरा ६वी क्लास का फाइनल एग्जाम स्टार्ट जो गया था। पहला पेपर हिन्दी का था। उसके बाद वाला हिस्ट्री का था। और ३ सरा साइंस का था। जब मै साइंस का पेपर दे के आया तो बस होम के गेट पर खड़ी थी खाना खाने के तुरंत बाद ही बस में बैठा दिया गया और मेरा ट्रांसफर हो गया। ट्रांसफर खा हुआ था किसी को भी नहीं पीटा था। जब बस थोड़ी देर बाद रुकी तो पता चला कि पूरे होम के स्टाफ और लडके अलीपुर होम में ट्रांसफर हुए हैं। मैंने अपना ६वी कक्षा का एग्जाम का टाइम टेबल ऑफिस में दिया। कि मेरा अगला पेपर कब होगा ऑफिस वालों ने कहा ठीक है लेकिन थोड़ी देर बाद मेरे एग्जाम का तारीख वाला कागज ऑफिस के गेट पर फटा मिला मैने एग्जाम करवाने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया लेकिन ऑफिस वालो ने ये कहकर मना के दिया कि था स्टाफ की कमी है। जिसकी वजह से में अपने बचे हुए पेपर नहीं दे पाया और ६ कक्षा में फेल हो गया। अलीपुर होम में जब गाड़ी इंटर हो रही थी तब तक तो इसा लग रहा था कि ये हम कीसी जंगल में छोड़ने वाले है। ऐसा इसलिए लग था कि होम के चारो ओर पेड़

26/05/2020. P/69

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हिन्दी/ /////// दीवाली के दिन सभी कुटियों में लड़कों की संख्या के अनुसार सभी कुटीयो के कैप्टन को उनके कुटी में लड़कों की संख्या के अनुसार दो - दो मोमत्तियां और एक - एक अगरबती का पैकेट से दिया जाता। और कैप्टन को पटाखों और फुलझड़ी का एक- एक पैकेट दे दिया जाता जो कुटी में रहने वाले सभी लड़कों कि उपस्थिति में शाम के समय बजाना होता है। ये कैप्टन के उपर निर्भर करता है। कि वो सभी लड़कों को पटाखे हिसाब से बाटे या खुद ही सबके सामने पटाखे फोड़े शाम के समय लक्ष्मी पूजा से स्टार्ट होता फिर खिल बतासे बट जाते। और खाने मै मटर पनीर की सब्जी और पूरी। ईद के दिन मॉर्निंग में सेवैया और पूरी सब्जी २६ जनवरी और १५ अगस्त तो स्कूल में ही मनाया जाता हा मिठाई होम जरूर बाटी जाती। होम में बनाए जाने वाले त्योहार थे। दीवाली,  दशहरा,  होली,  ईद, कृष्नजनमस्टमी,  गणतंत्र दिवस,  स्वतंत्रता दिवस, धीरे धीरे होम में लड़कों की संख्या कम होती जा रही थी। और ६ से लेकर ८ तक के क्लास का एग्जाम भी स्टार्ट होने वाला था। टीचर से सभी स्टूडेंट कौन - कौन से प्रशन आयेगे इसका हिंट पूछने में लगे थे। टीचर प्रशन तो नहीं बताते थे। इतना ज

25/05/2020. P/68

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हिन्दी/ /////// होम में हम लोग त्यौंहार केसे मनाते थे। हर एक त्यौहार अलग अलग तरीके से होली के त्यौंहार पर सभी कैप्टन को उनके कुटी में लड़कों की संख्या के अनुसार रंग से दिया जाता। और कैप्टन उनको कुटी की सभी लड़कों में वितरण करता होली के दिन सभी कूटियो को बंद कर देते सभी लड़कों को ग्राउंड में के देते और डिजे लगा दिया जाता गाने की धुन और रंगों की मस्ती और पानी की मोटर चालू कर दिया जाता। सभी लड़कों पे पानी कि बौछार के साथ और रंग के साथ होली का आगाज होता मॉर्निंग में ९ बजे से डीजे के साथ होली स्टार्ट और ये सिलसिला दोपहर १ बजे तक चलता इस बीच अगर रंग खतम हो जाए तो पानी में ही गासिटना स्टार्ट हो जाता कोई किसी के उपर कूद रहा है तो कोई किसी पे कीचड उछाल रहा है डीजे वाला अपने डीजे को पहले को सेफ कर के चलता है। स्टाफ भी साथ में डांस करते डीजे पर क्योंकि वो भी बीयर, विस्की और देशी चडा के नशे में फूल होते थे। दोपहर १ बजे डीजे बंद होता और होली भी सभी लडके नहाते और  होली की समाप्ति होती। दशहरे के दिन सभी लड़कों को छत पर ले जाया करते क्योंकि रामलीला ग्राउंड साइड में ही था। बिलकुल सट के सभी लोग छत पर

24/05/2020. P/67

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हिन्दी/ /////// होम में मेरी एक बार लड़ाई हुआ था। कि मेरे दाहिने हाथ के अगुठे की बोन टूट गई थी। हुआ ये था कि मैने पेटी में फल रखे थे। कोई चोरी कर के खा गया। जब मैने पूछा तो एक लड़का जिसका नाम पप्पू था। उसने कहा मुझे पता है। किसने निकाल पर में नहीं बताऊंगा। बहुत बार पुछा लेकिन साला बताने को तैयार नहीं फिर मेरी उसकी बहस हुआ तो कमिने ने कहा मैंने ही चोरी करके खाया है। जो उखड़ना है उखाड़ ले मैने उसके थोबड़े पर गूसा दे मारा कमिने ने सिर घुमा दिया। और मेरा अगुठा उसके सिर से टकराया अगुथा टूट गया फिर मैंने हाथ से नहीं मारा चावल चलाने वाला पलटा से मारा था। हॉस्पिटल में गया तो एक्सरे में आगुठा टूटा निकला डेढ़ महीने के लिए हाथ में पलस्तर लग गया। जिसे मैंने  २५ दिन में ही काट कर निकाल दिया अन्दर इतनी खुजली हो रही थी। कि लकड़ी दाल कर खुजना पड़ता था। एक बात का फायदा मिल रहा था। कि जिसको एक बार पलस्तर वाले हाथ से मार दो दुबारा मुख नहीं खोलता था। होम में लड़कों की संख्या कम होती जा रही थी। सभी लड़कों का काउंसिल में जिस भी होम में जाना चाहते थे। उस होम में उनका ट्रांसफर हो रहा था। मुझसे भी पूछा गया

23/05/2020. P/66

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हिन्दी/ /////// उस दिन हॉस्पिटल में आपातकाल में इंजेक्शन ख़ाके ये समझ में आया कि अपातकाल में जीतन बीमारी बताओगे। उतने ही इंजेक्शन खाओगे। एक बार मुझे अकेले को दो मंथ के लिए कमरे में बंद किया किया कहा था। हुआ ऎसा की मुझे चेचक हो गया था। पूरे शरीर पर चेचक के दाने हो गए थे  छाले जैसे चेचक के छाले अगर गलती से फूट जाए तो जलन बहुत होती है। मुझे ये रोग किसी बाहर के लडके से हुआ था। क्योंकि होम किसी को नहीं हुआ था। किसी और को ना फैले इसलिए मुझे एक कमरे में बंद कर दिया मेरे पुराने कपड़े जला दिया। नए कपडे किसी को छू नहीं सकता था। रूम के अंदर ही सब कुछ था खाना देने के लिए गेट खोलते और खाना देने के बाद दोबारा गेट बंद। खाना वो भी बिना नमक का और बिना मसालों के सबसे ज्यादा खाने को दलिया दिया जाता था। जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था। लेकिन क्या करू और कुछ कर भी नहीं सकता था। बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। कुछ हप्तो बाद चेचक पूरे बॉडी पर फैल गया। छाले बड़े बड़े हो गए थे। यहां तक कि मेरे जीभ पर भी छाले हो गए कुछ खाया नहीं जा रहा था। जिसकी वजह से मै बहुत कमजोर हो गया था। मुझे खाना खिलाने के लिए खाने को म

22/05/2020. P/65

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हिन्दी/ /////// एक दिन की बात है। प्राथमिक विद्यालय से होम के कुछ लडके भाग गए जो पकड़ में नहीं आए। उस दिन रमेश सर मेरे पास आए बोले शशि तुझे मै हॉस्पिटल ले चलता हूं। जो नाम बताऊं और जो फादर का नाम बताऊं वहीं बताना रमेश सर येस इसलिए कर रहे थे। कि कोई होम का लड़का हॉस्पिटल से भागता है तो उसका कोई रिपोर्ट नहीं देना पड़ता ना ही उस केयर टेकर के जॉब के उपर कोई इफेक्ट पड़ता सिर्फ थाने में एफआईआर देना पड़ता है। उसकी एक कॉपी भागने भले लडके के फाइल में लगा कर एक वीक के बाद केस बंद कर देते है। इसलिए ज्यादातर लडके भागने के बाद होम से कुछ भरोसे मंद लड़कों को हस्पिटल ले जाकर भाने वाले लडके के नाम पर मेडिकल रिपोर्ट बनवा लेते है। और रिपोर्ट देने से बच जाते थे। उस दिन रमेश सर ने मुझे इसीलिए बुलाया था। मना करने का कोई सवाल ही नहीं था। सिवाय हा बोलने के शाम के समय हॉस्पिटल में आपातकाल चलता है। और बहुत तेजी से स्टाफ एक्शन लेते है। दवा नहीं मिलती सिर्फ इंजेक्शन लगता है। मैने रमेश सर से पूछा कोन सा बीमारी बताऊं तो रमेश सर ने कहा जो मर्जी करे बता दिए। जब मेडिकल कि पर्ची बनवाने लगे तो मैने पेट दर्द, डस्त, उ

21/05/2020. P/64

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हिन्दी/ /////// मै जाके एग्जाम रूम में अपने सीट गिनती करके बैठ गया। पर मेरे दिमाग में तो उस लडके के पीटने कि घटना चल रही थी। और दीमहे ये भी चल रहा था। कि अभी प्रिंसिपल आए और मेरी ठुकाई करेगा पीटने का डर नहीं था। मुझे डर इस बात का था कि स्कूल के स्टूडेंट के सामने पिटाई होगी। और सारे मज़े लेने जैसे कोई एग्जाम रूम में प्रवेश करता तो मुझे लगता प्रिंसिपल आ गया और कोई लड़का तो लगता मुझे ही बुलाने आया होगा। तभी टीचर ने एग्जाम रूम में प्रवेश किया और डायरेक्ट मुझे ही देख और बोला यहां आओ मेरी तो सांस रुक सी गई और धड़कन इतनी तेज हो गई की उसकी आवाज तेज सुनाई देने लगी मै टीचर के पास गया तो टीचर ने कहा ये बॉटल लो इसको फ्रीजर से भर लाओ मै गया वाटर लाकर टीचर को दिया। टीचर उस समय सीट अरेंजमेंट में लगे थे। कि किसको कहा बैठान है। थोड़ी देर में एग्जाम स्टार्ट हो गया प्रिंसिपल भी नहीं आया। लेकिन डर तो था। एग्जाम चल रहा था। मै प्रशनो के उत्तर देने लगा। उत्तर क्या देता वो तो मुझे आता नहीं था। लेकिन उत्तर में प्रशन का आधा भाग और जो थोड़ा बहुत आता था। लिख देता इसी तरह उत्तर होता था मेरा एग्जाम टाइम ख़तम हुआ

20/05/2020. P/63

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हिन्दी/ /////// ६ वी कक्षा में तीन एग्जाम होते थे पहला त्रैमासिक, दूसरा अर्धवार्षिक, फाइनल सालाना,  त्रैमासिक एग्जाम स्टार्ट हों गया था।साइड में ही एग्जाम हाल रूम थे जो स्कूल का ही हिस्सा थे। लेकिन २०० मीटर ग्राउंड के पार था। जहा हम लोग नहीं जाते थे। क्योंकि वहा प्रिंसिपल ऑफिस और ११,१२ के छात्र पड़ते थे। ५ से लेकर ८ तक की अलग बिल्डिंग थी। एग्जाम के दिन सीट अरेंजमेंट देखा तो पता चला कि मेरा एग्जाम १२ वी वालो के साथ है। मै क्लास में गया देखने की कहा बैठना है। डेस्क ठीक ही लगा था। मै गिनती करके एग्जाम सीट पर बैठ गया। उस समय ३,४ ही छात्र आए थे। थोड़ी देर बाद मुझे टॉयलेट के लिए जाना पड़ा मै बाहर निकला और एक लडके से पूछा भाई टॉयलेट कहा है उसने बताया अगले कोने से लेफ्ट में पड़ेगा। मै गया टॉयलेट में घुस गया बिना देखे कि मेल टॉयलेट है। या फीमेल टॉयलेट मैं अन्दर गया अन्दर खड़े होकर रिफ्रेश होने का नहीं था। जबकि हमारे बिल्डिंग के टॉयलेट में था। मै रिफ्रेश हुआ और बाहर आ गया। एग्जाम स्टार्ट होने वाला था। तभी मैने देखा कि बाहर स्टूडेंट भीड़ लगा है। मैं भी देखने गया कि क्या हो रहा है। देख तो प्रिं