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Showing posts from June, 2020

28/06/2020. P/95

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हिन्दी/ /////// अलीपुर होम में कुछ लडके थे। जो स्कूल जाना नहीं चाहते थे या  स्कूल से नाम कटवा चुके थे लेकिन ओ येसा इसलिए करते थे कि सभी लडको के स्कूल जाने के बाद है में ओ होम में अपनी मनमर्जी करते थे। टीवी देखना दूसरों लडको की अलमारी तोड़ना या फिर दूसरी का समान चोरी कर लेना ये करना उनको अच्छा लगता था। हर रोज किसी न किसी का सामान गायब होता पेटी से सभी ऑफिस में सीकायत करते इसका सॉल्यूशन ये निकला की होम में एक ओपन स्कूल शुभशिका एजुकेशन सोसाइटी जो ओपन से १२ तक की पड़ाई करवा सकती थी उसे होम में आके अपनी एक साखा खोलने की इजाजत दे दी। जो लडके स्कूल नहीं जाते थे। उसमें उनका दाखिला करवाया गया ऑफिस वालो ने जो बिल्डिंग खाली थी उसे शुभक्षिका वालो को दे दिया होम में बहुत सारे कमरे खाली थे उसमें शुभाक्षिका वाले अपनी क्लास लगाते थे। अब तो को स्कूल जाने से बचते थे उन्हें भी स्कूल जाना पड़ गया क्योंकि स्कूल होम में ही था। टीचर भी अच्छे थे। होम के हेड ऑफिसर ने बल पूर्वक उन लड़कों को शुभक्षीका में भेजने के लिए केयर टेकर को आदेश दिया। जो होम में छुपते थे या स्कूल जाना पसंद नहीं करते थे या को छुप जाते

26/06/2020. P/94

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हिन्दी/ /////// हवाल सिंह ने साइकल कबाड़ी वाले से मांगा लेकिन कबाड़ी वाले ने साइकल देने से मना कर दिया। हवाल सिंह होम में आया तो उसने बताया कि पप्पू उसकी साइकल कबाड़ी वाले को बेचकर भाग गया। और कबाड़ी वाला उन्हें साइकल देने से मना कर रहा है। फिर होम से केयर टेकर बाले सर के साथ गया। बाले सर की काफी जान पहचान थी नरेला में बालेे सर ने कबाड़ी वाले को समझाया तो कबाड़ी वाला मान गया। उसने ८०० रुपए लेकर साइकल वापस कर दिया। फिर हवाल सिंह साइकल लेकर होम में आया और होम के एक लडके को हॉस्पिटल राजा हरिश्चनद्र ले जाकर झूठ का रिपोर्ट में ये लिखा कि पप्पू हॉस्पिटल से भाग गया है। उसके बाद से तो किसी ने किसी भी लडके को भी बाहर नहीं जाने दिया एक दिन होम में नए लडके रेलवे स्टेशन से पकड़ कर लाए गए थे। उन सब को डराने के लिए राज सिंह ने एक तगड़े से दिखने वाले लडके से कहा कि तू मुझे भागने वाला लगता है। तो उसने कहा कि मोका मिलेगा तो भाग जाएगा लेकिन राज सिंह ने उससे कहा कि में तुझे गेट से बाहर निकालता हूं। तू मुझे भाग कर दिखा तू भागने के बाद पकड़ में आ गया तो बहुत पिटेगा और मुर्गा बनाके मार पड़ेगी उसने कहा ठी

24/06/2020. P/93

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हिन्दी/ /////// नरेला होम का एक और लडके कि स्टोरी बतात हूं आप लोग उस लडके के बारे में पड़ चुके होगे बीते हुए स्टोरी में उस लडके का नाम पप्पू था। ये वही लड़का था जिसका सिर फोड़ा था जब इंडिया और पाकिस्तान का T-२० फाइनल था तब ये पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहा था जिसकी कारण सभी होम के लडके गुस्सा हो गए थे। और पप्पू का सिर फोड़ा था। पप्पू किचेन में काम करता था। स्टाफ लोगो के लिए स्पेशल रोटी बनाता और दाल फ्राई करता था। साथ ही स्टाफ का सामान रखता था होम एक केयर टेकर जिसका नाम हवाल सिंह था। वो पप्पू पर खूब विश्वास करता था। इतना विश्वास की जब पप्पू उसे खाना खिलाता तो वो उसे बाहर घूमने की इजाजत दे देता साथ ही अपनी साइकल चलाने को से देता था। एक दिन पप्पू ने स्पेशल रोटी और दाल फ्राई दिया हवाल सिंह को और साथ ही स्पेशल रोटी भी दिया। हवाल सिंह खाने लगे तब पप्पू ने कहा भाईसाहब आपका साइकल बाहर घूमने ले जाऊं तो हवाल सिंह ने हा बोल दिया और साइकल की चाभी उसे से दिया और और गए पर बोल दिया इसे जाने दो बाहर घूम कर आ जाएगा पप्पू गया हवाल सिंह का साइकल लेके हवाल सिंह ने खाना खा लिया और बहुत देर होगी तो हवाल सिंह

22/06/2020. P/92

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हिन्दी/ /////// स्टोरी में  एक कमिने को भूल ही गया था मै लेकिन उस कमिने ने खुद याद दिलाया फोन करके  और उस महान इंसान का नाम प्रदीप है प्रदीप नरेला में मेरे साथ था यू कहे की पड़ोसी यानी साइड कि कुटी का कुटी का नाम आज़ाद कुटी था। पोलियो के करण प्रदीप का एक हाथ ठीक से विकसित नहीं हुआ लेकिन फिर भी वो उस हाथ से काम कर लेता है। सकल से बिलकुल सरिफ लगता था लेकिन था बहुत शैतान दूसरों को परेशान और चीजे डबल करने मै उसे बड़ा ही आनन्द आता उसकी सबसे ख़तरनाक आदत थी जो तेरा है वो मेरा है और जो मेरा है वो पहले से ही मेरा है प्रदीप भी सभी बच्चो के साथ ट्रान्सफर होकर अलीपुर आया था। मै और प्रदीप दोनों ही अलीपुर में थे लेकिन अलग - अलग होम में थे नरेला होम में, मै और प्रदीप दोनों तम्बाकू खाया करते थे। लेकिन प्रदीप छुप - छुप के क्या करता था। और मै भी लेकिन मेरे पकड़े जाने पर में तो किसी न किसी तरह बच जाता था। लेकिन प्रदीप के पकड़ में आने पर उसकी पिटाई पक्की थी क्योंकि जयराम - मुन्ना टाइम पास किसी को छोड़ते नहीं थे। प्रदीप ने तो कई बार दो तीन कच्छे पहनता था ताकि चोट कम लगे। एक बार तो प्रदीप में पोछा लपेट ल

20/06/2020. P/91

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हिन्दी/ /////// हमारे क्लास फोन लाने वाला स्टूडेंट जगदीश था। हर वीक नए नए फोन लेकर सभी स्टूडेंट को ललचाता रहता मन तो करता कि उसका एक फोन खोस ली फिर सोचता था। होम के गेट पर गार्ड वैसे ही चेक करके जमा के लेगे इसलिए कुछ नहीं कहता था। जो साथ होम का दीपक था। उसने ६ कक्षा से ही गर्वनमेंट/अलीपुर का स्कूल छोड़कर रोहिणी में प्राइवेट स्कूल में एडमिशन ले लिया था। दीपक ने मुझे भी ऑफर दिया लेकिन मैंने मना कर दिया। न्यू बिल्डिंग के क्लास में दो गेट थे मैंने दीपक , संजय , दिलीप , पवन ने लास्ट के तीन बेंच पर कब्जा कर रखा था। जो गेट के पास थे। वो लास्ट के तीन डेस्क पर कोई और नहीं बैठता था। अगर बैठ भी जाता तो हमारे आने पर उसे डेस्क चेंज करनी पड़ती वैसे भी स्कूल में हमारी क्लास बदनाम क्लास थी कही भी कुछ भी टूटा तो किसने तोड़ा ६ ब ने मेरी क्लास के स्टूडेंट इतने कमिने थे कि दूसरी क्लास के स्टूडेंट को पिट कर भाग जाते थे। कई बार इतनी ज्यादा लड़ाई होती कि दूसरे क्लास ले लडके अपने पिता तक को बुला लाते अजय पांडेय सर बहुत दुखी होते समझाते एक दो दिन तो ठीक उसके बाद फिर वही हरकत कई बार अजय सर पिटाई भी कर देते फ

18/06/2020. P/90

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हिन्दी/ /////// मेरे स्कूल के दोस्त भूत सारे है वैसे तो पूरी क्लास ही मेरे दोस्त थे लेकिन कुछ खास कमिने होते है जिनके साथ हसी मजाक लंच व सभी उल्ट सीधे काम करते है। यहां तक कि लड़ाई में भी साथ खड़े होते थे। अलीपुर में तीन होम है तीनो साथ है तीनो होम से कुछ न कुछ लडके मेरी क्लास में पड़ते थे। दीपक होम से को था पहला फ्रेंड था होम में से एक लड़का मेरे साथ ही मेरे ही क्लास में पढता था नाम संजय जो मेरा बेस्ट बेस्ट फ्रेंड बना तीसरा कमीना दीपक और चोथा कमीना पवन और दिलीप और दोस्तो के नाम है। शोरभ, सरताज, रविन्द्र, जयप्रकाश, अजय, अमन, विवेक , प्रदीप, सचिन, और बहुत कमीनों का नाम भूल गया हूं अगर उन सभी ने ये पड़ा तो जरूर फोन करके बकवास करेगे हर एक कमिने की अपनी अगल - अगल खासियत है दीपक होम से को आता उसे सैफ की तरह खाना बनाने का सौख था। और वो सैफ बनना चाहता था। बचपन से ही उसे खाने में तरह - तरह की चीजे बनने की आदत है और वो एक्सपेरिमेंट करता रहता है।  संजय दिखने मै सरीफ लेकिन लड़ाई होने पर दो लोगो पर अकेला भारी पड़ता। दीपक लड़ाई के अलावा कुछ भी नहीं दिखता। पवन लुटेरा किसी के पास कोई अच्छी चीज दिख

16/06/2020. P/89

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हिन्दी/ /////// एक बात मुझे हमेशा बुरी लगती थी । की जिस दिन दीपक और दूसरे स्टूडेंट्स भागते थे उसके अगले दिन सर उन सभी लोगों को छोड़ देते थे जिस दिन मै भी सबके साथ भागता था उस के अगले दिन सर सब को सजा देते थे मै स्कूल में पड़ने में ज्यादा अच्छा तो नहीं लेकिन बुरा भी नहीं था। सभी विषय कि कॉपी बनाना और इसे पूरा रखना मेरी आदत थी लेकिन एक और भी आदत थी कि में हर शनिवार को छुट्टी करता था और संडे की छुट्टी तो होती ही थी। हमारा छठी क्लास का वार्षिक एग्जाम हुआ और में पास हो गया छठी कक्षा में भी में तम्बाकू खाया करता था मै अकेला ही नहीं था जो तम्बाकू खाता था मेरे साथ मेरे क्लास के स्टूडेंट भी थे स्कूल में मेरा पहला दोस्त दीपक था। जो साथ ही जाया करता था और दूसरा दोस्त भी दीपक था लेकिन दोनों अगल अलग थे लेकिन नाम एक जैसा था। जो दीपक होम का था उसके दो भाई और भी थे। वो भी होम में ही थे एक का नाम सूरज था। और दूसरे का नाम विष्णु था। विष्णु तो सीधा साधा था लेकिन सूरज होम सबसे हरामि लड़कों में से एक था सूरज दूसरों लडको को बहुत परेशान करता था। जैसे उनका समान चोरी कर लेना दूसरों से अपना काम करवाना अगर को

14/06/2020. P/88

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हिन्दी/ /////// मेरे स्कूल से सभी अध्यापक और उनके खूबी और विद्यार्थियों द्वारा दिए गए अध्यापकों के अजीबो- गरीब नाम सुरुआत प्रिंसिपल से करते है। नाम , आशाराम विद्यार्थियों द्वारा दिया गया नाम था डोरेमोन इसलिए कि अपनी अलमारी से कुछ भी निकाल सकते थे । दीपक सर विद्यर्थियो द्वारा दिया गया नाम आशिक हमेशा अपनी वाइफ की फोटो देखते थे यहां तक कि क्लास में भी नरेंद्र धायिया सर  विद्यार्थियों द्वारा दिया गया नाम धायिया, विजेंदर सर विद्यार्थियों द्वारा दिया गया नाम खतरनाक मेन, एक सर उत्तर प्रदेश के थे उनको सभी दबंग बोलते थे। क्योंकि गलती करने पर कान मोड़कर वहीं पीटना चालू मुर्गा बनाकर जूते मारते थे। तोमर सर को मैजिकल मेन क्योंकि विद्यालय में कुछ भी एग्रीकल्चर से संबंधित कार्य वहीं करवाते थे। अजय पांडेय सर को विद्यार्थी स्पाइडर मेन कहते थे। सुनील सर को खोया पाया कहते थे क्योंकि वो हमेशा टॉपिक चेंज कर देते थे। मैथ टीचर को गुमशुदा की तलाश क्योंकि सर हमेशा कुछ नहीं में से भी आंसर निकाल देते थे। राजकमल सर को खड़ूस सर , उपाध्याय सर को पण्डित क्योंकि वो संस्कृत पड़ते थे। विक्रम सर हिन्दी के टीचर थे हमा

13/06/2020. P/87

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हिन्दी/ /////// सर की धमकी और पिटाई के बाद एक सप्ताह तक कोई नहीं भागा अगले सप्ताह से फिर से वही भागना सुरु कर दिया विद्यार्थियों ने हर रोज एक दो लोगो को तो सजा मिलती ही थी। क्योंकि कुछ विद्यार्थी ऐसे थे कि कितना भी सजा मिले वो भागते ही थे। अजय सर जितना हम सजा देते थे उतना ही हर एक विद्यार्थी से प्यार भी करते थे। हम सजा देने के बाद वो खुद भी दुखी हो जाते थे। जब विद्यार्थी ज्यादा सेंटीमेंट हो जाते तो हसते भी थे और कहते थे यही टाइम है तुम लोगो का खेलने और खाने मौज करने का फिर ये दिन कभी नहीं आयेगे हा लेकिन साथ में पड़ना भी जरूरी है। अजय सर बताते थे मै जब तुम लोगो के उम्र का था। तो मै भी स्कूल से भागता था। बाहर घूमता था लेकिन मै साथ में पड़ता भी था। मेरी मॉम जब मिठाई छुपा कर अलमारी में रखती थी तो मै चुपके से मिठाई निकाल कर खा जाता था। और खाली डिब्बा फिर से अलमारी में रख देता था और पूछने पर में मना कर देता था। लेकिन मॉम को पता होता था कि इसी कि लिए तो लाई थी और इसी ने खाया है घर में और कोई तो था नहीं सर बताते थे कि ओ हॉस्टल में रहते थे सिर्फ गरमियों की छुट्टी में ही घर आते थे तो पूरे परि

12/06/2020. P/86

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हिन्दी/ /////// स्कूल में न्यू भवन बनने के बाद सभी सेक्शन को अलग - अलग क्लास ( कमरा) से दिया गया। अजय सर ने उसी दिन चेतावनी दिया कि अब हमें क्लास मिल गया है। कक्षा लगातार लगेगी सभी विषय के टीचर सिकायत करते है कि अजय जी आपके क्लास के विद्यार्थी मेरे पीरियड में नहीं मिलते आधे भाग जाते है कुछ खेल के मैदान में खेलते है। अजय सर ने कहा कोई भी लंच टाइम में स्कूल से नहीं भागेगा। जो भागेगा उसकी दो दिन की हाजिरी काट दी जाएगी और पिटाई भी होगी। मै तुम सबको सुधार दुगा। अब भाग के दिखाओ। लेकिन किसी ने भी अजय सर के बात को गम्भीरता से नहीं लिया इस दिन भी एक तिहाई विद्यार्थी भाग गए। और भागने वालो में मै भी सामिल था। अजय सर लास्ट पीरियड में आए और जो भी विद्यार्थी बचे थे उनका रोल नंबर लिख लिया। फिर क्या अगले दिन अजय सर आए अपनी सुबह की क्लास लेने व जिस - जिस का नाम सर ने लिखा था। उस एक तरफ़ कर दिया। बाकी सभी को हाथ उपर करने को कहा उसके बाद लाइन सभी को लाइन में खड़ा किया। और सभी को चार - पाच थप्पड़ लगने सुरू किया को बीच में थे। वो लाइन के लास्ट में पहुंच गए को सर थक जाएंगे और हम कम या धीरे - धीरे पिटेगा

11/06/2020. P/85

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हिन्दी/ /////// उस रात टीवी वाली घटना के बाद मुझे यकीन होने कि सच - मूच में कुछ तो है। कुछ दिनों बाद मै टीवी वाली बात भूल गया। लेकिन कुछ दिनों बाद मै उपर वाले रूम शास्त्री कुटी में सो रहा था। रात के करीब ३ बज रहे थे। मै टॉयलेट के लिए उठा टॉयलेट करके जब वापस सोने लगा तब छत से आवाज आने लगी किसी के कूदने की यू कहे तो जैसे कोई छत पर कूद रहा हो और डरने वाली बात ये थी कि छत के ताले की चाभी मेरे पास थी। जिसे मैंने आलमारी में रखा था। मेरे सिवाय कोई और मेरी अलमारी नहीं खोलता था। छत पर कूदने कि आवाज से में ही नहीं और भी लडके जग गए थे। सूरज, सन्नी , विकास वो दोनों अपने बेड से उठक मेरे पास आए और बोले भाई डर लग रहा है। उन्हें क्या पता कि मुझे तो उनसे ज्यादा डर लग रहा था। मैंने कहा कोई गार्ड होगा हम डराने की कोशिश कर रहा होगा। उसी समय लाईट भी चली गई। मैंने सूरज और विकास , सन्नी से कहा तीन चार लडको को और जगा और उनको बोला पीछे गार्ड होगा। उसे आवाज लगा सूरज ने पीछे पोस्ट पर आवाज लगाया लेकिन वहा पर कोई नहीं था। दूसरे पोस्ट पर भी कोई नहीं था सभी साइड मेन गेट पर थे। आधा घंटे के बाद धन सर आए और गेट खोला

10/06/2020. P/84

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हिन्दी/ /////// मुझे लगा शायद फेस में कुछ दिक्कत होगी मैंने केबल को निकाल कर दुबारा लगाया तो केबल की दिक्कत ठीक हो गई और फिर मैंने टीवी रूम कि लाईट बंद कर दी और टीवी देखने लगा थोड़े देर बाद टीवी रूम के गेट पर कोई आके खड़ा हो गया मुझे लगा कि सूरज होगा। सूरज मेरा दोस्त था। हम दोनों साथ ही ज्यादा तर साथ ही रेहते थे। मैंने कहा कमिने अंदर आके बैठ जा वो अंदर आके टीवी रूम के सबसे पीछे बैठ गया उसके टीवी रूम के अंदर आते समय उसके पैरो की आवाज सुनाई नहीं दी। मुझे लगा कि शायद टीवी की आवाज की वजह से नहीं सुनाई दी हो फिर मैंने कहा कि पास में आके चटाई पर बैठ जा उसने अनसुना के दिया मैंने पीछे देखा तो अब भी वो वहीं बैठा था। मैंने टीवी रूम का लाईट बंद कर दिया था। जिसकी वजह से उसकी आकृति साफ साफ नहीं दिख रही थी। मैंने कुछ नहीं बोला टीवी देखने लगा रात के २ बजे पिक्चर ख़तम हुआ तो मैंने पीछे देखा तो वो अब भी वही बैठा था। फिर मैंने टीवी रूम कि लाईट जलाई तो वह कोई नहीं था। मै सीधा कुटी में गया और देखा तो सूरज सो रहा था। मै भी सोने की कोशिश करने लगा लेकिन आंखो से निड गायब थी। जागते- जागते सुबह हो गई। जब सूर

09/06/2020. P/83

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हिन्दी/ /////// होम में चार कुटी थी पहली सुभाष कुटी, संजय कुटी, शास्त्री कुटी , जवाहर कुटी, सुभाष कुटी के बगल में एक और भवन था लेकिन उस में कोई नहीं रहता था उसमे करीब बीस कमरे होगे जिसमे कुछ में टूटे बेड, चेयर अलमारी और बड़े बक्से थे और खाली थे होम में भूत के बारे में बहुत सारी अफवाहें फैली हुई थी। उनमें से एक अफ़वाह ये भी थी कि संजय कुटी में एक लड़का भूत सारे गद्दे लगाकर सो रहा था जो छत पंखे के नीचे था पंखा चल रहा था जब वो सोकर उठा तो उसका सिर पंखे में आ गया और कट गया जिससे उसकी मौत हो गई होम के स्टाफ ने ये बात छुपान के लिए उसकी बॉडी को होम के साइड झाड़ियों में गाड़ दिया। जिससे उसकी आत्मा अभी भी वही भटक रही है। कई लड़कों ने तो रात में कटा सिर उड़ते देखा है। कई लडके तो कुटी में अकेले बेहोश पड़े मिले। जब उनसे पूछा जाता तो ओ कहते किसी ने उन्हें हवा में उठा कर पटक दिया कई लडके छुप कर बाथरूम में रात में बीड़ी पिते तो कोई तीसरा व्यक्ति उनसे बीड़ी मागता नहीं देने पर उनकी पिटाई करता बहुत लडके पिटे थे। किसी किसी के उपर बड़े बड़े पंजो के निशान दिखाई देता था। एक बार की बात है मै ऊपर टीवी रूम