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दीवाने ए आम

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                       दीवाने ए आम दीवाने ए आम , आम नागरिकों के लिए बनवाया गया था जहा शाहजहा नागरिकों से मुलाकात करते थे और उनकी शिकायते भी सुनते थे १६२८  ईसवी से १३५८ तक ये दरबार लगता था पिछे दीवार से लगकर एक छतरी नुमा बंगाल शैली में बना हुआ है जिसके नीचे बादशाह का सिंहासन था जिसमे बैठकर बादशाह लोगो की शिकायते सुना करते थे ठीक उसके नीचे बहुमूल्य पत्थरों से जड़ी एक चौकी रखी रहती थी जिससे वजीर शिकायती पत्र प्राप्त करता था। छतरी के पीछे दीवार पर बहुमूल्य पत्थरों से नकासी की गई थी जिसमे चिड़िया के सुंदर चित्र बने होते थे।                                                      दीवाने ए आम  Deewane-e-Aam was built for common citizens where Shah Jaha used to meet citizens and listen to their complaints. There was a throne in which the emperor used to sit and listen to the complaints of the people, just below it there was a chowki studded with precious stones, from which the vizier used to receive complaint letters. The wall behind the umbrella was carved with precious stones, in which beauti

23 अगस्त २०२३ ६:४ मिनट चंद्रयान ३

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 चंद्रयान ३ का मून पर उतरना दुनियां के इतिहास में     भारत का नाम सुनहरे शब्दो में लिखा गया। २३                    अगस्त २०२३ शाम ६ :४ बजे  २३ अगस्त २०२३ को शाम ६: बज कर ४ मिनट पर चंद्रयान ३ ने मून पर उतरा साथ ही भारत देश दुनिया का चौथा देश और मून के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बना मैं अपने दोस्तो के साथ लाइव चल रहे इसरो के ऑफिशियल यूटयूब चैनल पर देख रहा था जब चंद्रयान मून से १०० मीटर कि ऊंचाई पर था तो दिल की धड़कने बड़ गई थी और डर भी था। की कही जो चंद्रयान २ के साथ हुआ वही दोबारा न हो जाय ये बात दिमाग में चलने लगी लेकिन फिर दोस्त ने बीयर की बोतल हाथ में थमा दी और कहा जमीन कहा खो रहा है देख चंद्रयान ३ मून पर उतर चुका है। और हम दुनियां के चौथे नंबर पर है जो मून पर सॉफ्ट लैंडिंग की है और हमारा देश मून के साउथ में पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। जो देश २०१९ में फेल हुए चंद्रयान की बुराई कर रहे थे वहा से आज बधाईयां मिल रही थी देश को देश के सभी बड़े शहरों में बड़ी स्क्रीन पर लाइव लैंडिंग की पिक्चर दिखाई जा रही थी। पूरा सोशल मीडिया चंद्रयान ३ की कामयाबी की गाथा गा रहा था।

मीना बाजार/छत्ता चौंक लालकिला

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              मीना बाजार/छत्ता चौक   लालकिला लाहौरी गेट से अंदर जाते ही सबसे पहले आपके मीना बाजार/छत्ता चौक पड़ेगा जहा आपको तरह तरह के हाथ से बनी क्लाकृतियां देखने को मिलेगी और अपने पसंद की कोई सी क्लाकृतिया खरीद सकते है। मीना बाजार का अस्तित्व शाहजहा के समय से देखने को मिलती है। जो १७ शताब्दी से है शाहजहा को इस तरह के बाजार का विचार लाहौर के एक बाजार को देखकर आया था। बड़े हालनुमा छत के नीचे लगने से इसको छत्ता चौक का नाम मिला आज लोग इसे मीना बाजार के नाम से जानते है। मुगल शासक के समय यह बाजार इसलिए लगाया जाता था की व्यापारी अपना सामान राजमहल तक आसानी से पहुंचा सके ज्यादातर इस बाजार में शाही लोगो के भोग विलास कि वस्तुएं मिलती थी। जैसे रेशमी कपड़े, आभूषण सजावटी सामान रत्न, फल फ्रूट आदि सब मिलता था। लेकिन अब इस बाजार में उस समय के डिजाइन के आभूषण, सजावटी सामान उचित रेट पर मिलता है। इस बाजार में पहुंच कर आपको लगेगा की आप अलग ही दुनिया में आ गए हैं। और आप उस समय की नक्काशी आज भी इस बाजार में देख सकते हैं।  https://youtu.be/Kc0sLqSeOBc       Meena Bazar / Chatta Chowk  As soon as you enter f

लालकिला / travel vlog

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                                लालकिला लंबी कतारें लगी थी लालकिला के ऐंट्री गेट पे आधे घंटे के बाद टिकट और चेकिंग के बाद आगे चल दिया। लालकिला के चारो ओर ऊंची ऊंची दीवार है जिसपर चढ़ना लगभग नामुमकिन है और उसके किनारे पर गहरी खाई है। टिकट चेकिंग और सिक्योरिटी चेक के बाद एक किलोमीटर दूर तक चलना होगा तब जाके आप किले के मैन गेट पर पहुंचेंगे। लेकिन मैन गेट तक पहुंचते से पहले ही आपको रोमांचक यात्रा का अनुभव स्टार्ट हो जायेगा क्योंकि लालकिला को देखकर आप उसके अन्दर खींच चले जायेंगे। आपको एक अलग ही दुनियां में जाने का एहसास होगा। किले के ऊंची दीवार को देखते देखते आप कब मैन गेट पर पहुंच जायेंगे आपको पता भी nhi चलेगा। किले में ऐंट्री से पहले आपको एक बार और सिक्योरिटी चेक से गुजरना होगा और उसके बाद ही आप किले में ऐंट्री कर पाएंगे किले के में गेट पर ही आपको पुराने समय की दो तोप जो की लाहौरी गेट के पास रखी है देखने को मिलेगी। एक बात का ध्यान रखना होगा की आपका टिकट ही आपको पूरा किला घूमने में मदद करेगा क्योंकि टिकट से भी आप म्यूजियम में एंट्री कर पाएंगे। १५ अगस्त और २६ जनवरी को यहां की सिक्योर्टी और

लालकिला/ लाहौरी गेट

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                लालकिला /लाहौरी गेट लालकिला का ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। इसका निर्माण शाहजहा ने करवाया है १६३८ से १६५८ tk इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ किले के डिजाइन का कार्य उस्ताद अहमद लाहौरी ने किया था। इसकी सुंदरता और बनावट बहुत ही भभ्य है करीब २०० साल तक मुगल बादशाह के बाद १८५७ की क्रान्ति के बाद अंग्रेजों ने इसे खूब लूटा दीवार में जड़े बहुमूल्य रत्न अंग्रेजों ने निकाल लिया और किले को अपना सैनिक छावनी में तब्दील कर दिया यह किला तीन ओर से यमुना नदी से घिरा है। जिसके कारण उस समय इसे जितना कठिन था। किले के आगे की तरफ १६  मीटर ऊंची दीवार है जो लाल पत्थरों से निर्मित है।https://youtu.be/NbSB_-7LtTI उसके किनारे गहरी खाई है जिसमे सॉफ मगरमच्छ आदि मौजूद थे जो किसी बाहरी युद्ध से किले को बचाते थे और किले के सैनिक किले की मुंडेर से तीर भाला और तोप से हमला करते थे। किला २५० एकड़ में फैला है। १८५७ की क्रान्ति के बाद से ये किला अंग्रेजों के अधीन रहा। आजादी १९४७ के बाद अंग्रेजों से ये किला इंडियन आर्मी को मिला २००३ तक आर्मी ने इस किले में आर्मी ट्रेनिंग सेंटर की तरह उपयोग किया। उसके बाद इसे लो