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08/06/2020. P/82

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हिन्दी/ /////// मेरे साथ सभी गार्ड भी में गार्ड के साथ सभी लड़कों को टीवी रूम में के आया टीवी रूम में सभी लड़कों की गिनती हुई सभी के सभी लडके वहा मौजूद थे और सभी गार्ड भी टीवी रूम में मौजूद थे। सभी गार्ड ने डंडे और ताबीज और भगवान के लाकेट लेकर आए थे। केसे कही से पूजा करके आए हो करीब एक घंटा हम सभी लड़कों को टीवी रूम में बंद करके रखा गया। हमारे साथ अंदर चार गार्ड और टीवी रूम को बाहर से कुंडी लगाकर वहीं गेट पर दो गार्ड थे। जैसे कोई बड़ी मुसीबत आने वाली थी। करीब एक घंटे बाद सभी गार्ड अपने पोस्ट पर चले गए तो मै जाकर उरखा भाभी जी से पूछा कि क्या हुआ था। तो ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू उरखा भाभी जी ने बताया बेटा ये बताने बावी चीज नहीं है। तो मै पीछे पोस्ट पर बैठे गार्ड से पूछा तो उसने मेरी और घुर के देखा फिर बोला १९९९ के दशक में जब ये होम कि बाउंड्री नहीं खींची थी तब था पर कुछ बदमाशों में शादी में फेरे के समय लड़की के पति को मार कर उठा कर यहां जहा नयी रोड बनी है उसके होम कि को बाउंड्री है। वहा पर उसे मार दिया उसके हाथ पैर अलग अलग कट कर जला दिया था। उसी की लडकी की

07/06/2020. P/81

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हिन्दी/ /////// अलीपुर होम में काम करने वाले पुराने गार्ड और केयर टेकर के अनुसार अलीपुर होम कब्रिस्तान के उपर बना था। जब होम बनाने के लिए अलीपुर की जगह चुनी गई थी। तो यह एक पुरानी कब्रिस्तान थी यहां के कब्र को कही और लेजाकर दफना दिया गया। साथ ही ये भी बताते थे कि एक बार इसी जगह से बारात का रही थी जिसे लुटेरों ने लूट लिया था और दुल्हन को मार दिया और जला दिया जिसकी आत्मा आज भी होम में भटकती है। नेकी सर जो होम के इंचार्ज थे। पुरानी चीजे जहा वो रखते थे वहा एक पुराना बक्सा था। जिसमे इंसानों की मर्डर कि बहुत भयानक बहुत सारी फोटो थी जिसमे कई फोटो तो ऎसि थी कि उसे देखना भी बहुत बुरा था। एक बार नेकी सर ने बताया कि होम बनने से पहले ये कब्रिस्तान था उसके बाद यहां पागलखाना बना और उसके बाद थोड़ा सा चेंज करके इसे होम बना दिया गया। होम कि लेडी केयर टेकर जिनका नाम उर्खा था। वो मदन भाई की वाइफ थी। सभी लडके मदन को भाई और उनकी वाइफ ( ऊर्खा) को भाभी बोलते थे। धीरे - धीरे सभी होम के लोग मुझे जानने लगे होम के स्टाफ तो परिवार की तरह हो गया स्टोर कि चाभी मेरे पास रहने लगी जिससे स्टाफ में और भी रूतवा बढ़ गय

06/06/2020. P/80

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हिन्दी/ /////// त्रैमासिक परीक्षा आते - आते कुछ विद्यार्थी हमारी सेक्शन से चले गए थे दूसरे सेक्शन में जिसकी वजह से मेरी सेक्शन में ८५ विद्यार्थी ही बचे थे और मेरा रोल नंबर ७१ था। अलीपुर होम के दक्षिण में स्वामी श्रद्धा नन्द विश्वविद्यालय है। जिसके मैदान में झाड़ियां उगी रहती थी। जंगल की तरह जिसमे सर्प, गोह, बहुत अन्य प्रकार के जीव रहते थे। पूर्व में हाईवे है। दो लेन की साथ ही झाड़ियां ,उत्तर में जंगली झाड़ियां है जिम पेड़ और अन्य प्रकार के पौधे है। पश्चिम में अलीपुर पुलिस स्टेशन और गवर्नमेंट ब्वॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल और अलीपुर गांव है। होम तीन ओर से पेड़ पौधों से घिरा है। अलीपुर पुलिस स्टेशन की तरफ़ से बहुत हल्का- हल्का दिखाई देता है। एक रात बहुत तेज बारिश हुई सुबह मै होम से स्कूल के लिए गेट से बाहर निकला करीब २० मीटर ही गया होगा कि मैंने देखा कि रोड के साइड में ही एक सर्प पड़ा है सर्प करीब सवा मीटर लंबा होगा सर्प सफेद कलर का था। सर्प उल्टा पढा था उसका पेट उपर था हिल भी नहीं रहा था। जीभ भी बाहर निकल रहा था। देखने से लग रहा था कि मर गया है मैंने स्कूल ड्रेस कोड का जूते पेहन रखा था

05/06/2020. P/79

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हिन्दी/ /////// एक दिन बीतने के बाद कुछ और विद्यार्थी हमारे सेक्शन में आए कुछ दिन बाद टीचर ने रोल नंबर बताया मेरा रोल नंबर ८३ था। हमारे सेक्शन में करीब १०५ विद्यार्थी थे। त्रैमासिक पेपर चालू हो गया था।और लगभग न्यू स्कूल बिल्डिंग का काम पूरा हो चुका था। जो पुरानी क्लास थे उनकी हालत बहुत खराब थी। उनकी दीवार जर्जर हो चुकी थी। छत सीमेंट वाले छपर से बनी थी जिसमे जगह - जगह छेद हो रहा था। डेस्क टूटे गए थे। उन क्लास में स्टडी करने वालो को बैठने के लिए जगह कम पड़ रही थी जिसकी वजह से कई क्लास को बड़े हॉल में बैठाया जाता था एक साथ जिससे अध्यापक ठीक से नहीं क्लास ले पा रहे थे। क्योंकि स्टूडेंट हमेशा शोर करके दूसरी क्लास को भंग करते रहते थे मेरा परीक्षा सुरु हो गया था। लेकिन मेरा किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी मेरा एग्जाम सीट पुरानी क्लास में पड़ा था। परीक्षा के पहले दिन ही आसमान में बादल छाए हुए थे जैसे ही मेरा परीक्षा सुरु हुआ बारिश होने लगी परीक्षा क्लास के छत में बहुत से छेद थे। उनसे बारिश का पानी टपकने लगा जिससे बहुत विद्यार्थियों की परीक्षा कॉपी गीली हो गई टीचर ने सभी को खड़ा किया कुछ देर के लि

04/06/2020. P/78

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हिन्दी/ /////// मेरे स्कूल के पास से ही जी. टी. करनाल रोड गुजरती है उसी के साइड में दुकान है। खाने - पीने से लेकर कापी - किताब  सब चीज मिलता है। पास में ही स्वामी श्रद्धा नन्द कॉलेज भी है। और बस स्टैंड साथ ही गर्ल स्कूल भी है स्कूल की बाहर कि चार चीज फैमश थी। अग्रवाल के छोले भटुरे , मेरठ वाले की मिठाई, ओमकार के छोले कुल्च , शिव शक्ति की बुक स्टोर,  इसके अलावा बहुत सी और चीजे थी। अन्दर विलेज में नेट कैफे था। गेम सेंटर भी था। जहा गेम खेलने जाय करते थे। एक दिन मै स्कूल बंक करके बाहर घूम रहा था। मै बिस्किट खरीदने एक दुकान में गया जैसे ही मैंने दुकान वाले को देखा मेरी तो सिट्टी- पिट्टी गुम हो गई दुकानदार बिलकुल प्रिंसिपल जैसा था। दिल की धड़कन मशीन कि तरह फास्ट हो गई थी। बॉडी सुन्न सी हो गई थी। मैंने हिम्मत करके कहा एक बिस्किट देना प्रिंसिपल जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने पैसे लिया और बिस्किट दिया में चुपचाप वहा से तेजी से निकला बाद में पता चला कि वो प्रिंसिपल का भाई था। उस समय मेरे स्कूल में दो न्यू बिल्डिंग बन रहे थे। दो मंजिले आधा काम हो चुका था। आधा काम चल रहा था। हमारा स्कूल कॉलेज की तरह

03/06/2020. P/77

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हिन्दी/ /////// धईया सर क्लास में आए और आते ही एक - एक को खड़ा करके अपना नाम पूछने लगे किसी को उनका नाम नहीं पता था। विद्यार्थी उन्हें धईया सर से बुलाते थे। जो उनका सरनेम था। सभी को दो - तीन घुसे मस्ती में मारे और बोले कल तक मेरा पूरा नाम पता कर लेना नहीं तो कल भी इसी तरह खुराक मिलेगी और फिर घंटी बजी और वो चले गए। प्राथना नहीं होती थी क्योंकि प्राथना/ खेल के मैदान में पानी भरा हुआ था। स्कूल बहुत बड़ा था खेल के मैदान भूत बड़ा है साथ ही अलग से बास्केट बॉल का प्ले ग्राउंड है। स्टूडेंट दिन भर स्कूल में खेलते रहते कुछ दीवार कूदकर भाग जाते। सुबह में जितने स्टूडेंट होते थे उसके आधे लंच टाइम में भाग जाते थे। मै दीपक के साथ स्कूल बंक करता था जो स्कूल कि बाउंड्री थी वो ज्यादा उचि नहीं थी। जिससे कूदना आसान था। स्कूल के गेट पर एक ओल्ड लेडी चूरन , टाफ़ी, इमली, तरह - तरह के समान बेचती थी। स्कूल के दो गेट थे। एक खुलता था। और एक हमेशा बंद रहता था। ६ क्लास से बंक करना मुझे दीपक ने सिखाया था। कामिना हमेशा ( आज क्लास में सर काम चेक करेगे ) ये बोलकर डराता था। और मै भाग जाता था। एक बात तो बहुत बुरा होता

02/06/2020. P/76

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हिन्दी/ /////// चारो भाग ६A से लेकर ६द एक ही हाल में बैठे थे। और शोर बहुत तेज हो रहा था। १० बजने वाला था। कोई भी कक्षा अध्यापक किसी भी भाग में नहीं आए थे। थोड़े ही देर में हमारे कक्षा अध्यापक आए और बोले अगले सप्ताह सभी लोगो को उनका क्लास रोल नंबर बता दिया जाएगा। विद्यार्थी इतने शोर कर रहे थे। कि किसी को अध्यापक की आवाज सुनाई दे थी। तो किसी को नहीं मेरे कक्षा अध्यापक का नाम श्री अजय कुमार पांडेय था। और अजय सर इंग्लिश में प्रो से भी प्रो है। सर ने बुक खोल कर पढाना चाहा लेकिन शोर इतना ज्यादा हो रहा था कि वो पढा न सके हम लोगो ने शोर बंद कर दिया लेकिन और सेक्शन के विद्यर्थियों ने शोर बंद नहीं किया। फिर क्लास कि घंटी बजी और वो अपना फाइल उठाएं और चले गए और बोल गए एक बार नया भवन बन जाने दो फिर मै तुम सब को सुधरता हूं। सर के जाने के बाद दीपक ने कहा अब चल बाहर घूमते है कोई क्लास नहीं होगी और अगला क्लास धाइया सर का है और वो पक्का पिटेगा। मै दीपक के साथ भाग गया। हम दोनों ने दोपहर तक घूमते रहे फिर स्कूल लंच टाइम में होम आ गए। अगले दिन फिर अजय सर का क्लास ख़तम होने के बाद दीपक ने कहा चल निकलते है