15/07/2020. P/102

हिन्दी/
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आज मै मेरे स्कूल के सबसे खतरनाक टीचर के बारे में बताने जा रहा हूं। टीचर का नाम त्रिलोक सिंह था। स्कूल का सबसे कठोर और टाइम का पाबन्नद सभी विद्यार्थी त्रिलोक सर से खौफ खाते थे। जिस किसी क्लास में उनका पीरियड लग जाता उस क्लास के सभी विद्यार्थियों को तो साफ़ सुघ जाता त्रिलोक सर की क्लास कोई भी बंक नहीं करता। त्रिलोक सर को कॉपी से ज्यादा मौखिक पढाने का शौक था एक बार किताब का शीर्षक देख लेते तो किताब डेस्क पर रख देते और पूरी किताब में क्या - क्या है उसके बारे में विस्तार से बताते अगर किताब के चैप्टर से जुड़ी कोई कहानी भी होती तो ओ जरूर बताते त्रिलोक सर के पीरियड में ५ मिनट की देर से पहुंचे तो क्लास में नहीं घुसने पाओगे इतिहास और राजनीति उनका विषय था। जो क्लास में पढाते वही एग्जाम पेपर में भी पूछते जैसा उन्होंने पढाया है। वैसा ही उत्तर वो चाहते थे। नकल करने के सख्त विरोधी थे। और उन टीचरो के सख्त खिलाफ थे जो थोड़ा बहुत हिंट बता देते थे कि एग्जाम में क्या आयेगा। एग्जाम पेपर के उत्तर शीट के एक - एक शब्द को पढ चेक करते थे। मात्रा में भी गलती होने पर नंबर काटते थे। अगर किसी ने उत्तर शीट में गाली या हसने वाले उत्तर लिखे है तो उसे पड़कर पूरी क्लास को सुनाते कि इस लडके ने ये लिखा है। ९,१०,११,१२ को वो पढाते थे। आधे - आधे नंबर कम पड़ने के चक्कर में त्रिलोक सर ने १/३ क्लास के लडको को फेल कर रखा था। जिस क्लास के वे कक्षा अध्यापक थे। उस क्लास में कई ऐसे स्टूडेंट थे जो उस क्लास में ३ या ४ सालो से फेल हो रहे थे। कई ने तो स्कूल छोड़ दिया त्रिलोक सर ने अपनी ६० स्टूडेंट की क्लास में से सिर्फ ११ स्टूडेंट को पास किया था वो भी पासिंग मार्क से।









English translate/
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 Today I am going to tell about the most dangerous teacher in my school.  The teacher's name was Trilok Singh.  The most rigorous and punctual school of the school, all students were in awe of Trilok sir.  In a class in which his period would have been absorbed by all the students of that class, no one billed Trilok sir's class.  Trilok sir was fond of teaching oral more than copy, once he saw the title of the book, he would put the book on the desk and would tell in detail about what is there in the whole book, if there was any story related to the chapter of the book, O  Surely, if you reach Trilok sir's period 5 minutes late, then you will not be able to enter the history and politics was his subject.  Those who are studying in class also ask in the exam paper as they have studied.  He wanted the same answer.  There were strict opponents of copying.  And were strongly against those teachers who used to tell a little hint about what would come in the exam.  The exam paper used to read the words one by one on the answer sheet.  Numbers were also deducted if there was a mistake in the quantity.  If someone has written abusive or laughable answers in the answer sheet, then he has to tell the whole class that this boy has written this.  He was teaching on 9, 10,11,12.  Trilok sir had failed the boys of 1/3 class due to falling half-and-half numbers.  The class of which he was a class teacher.  There were many such students in that class who were failing in that class for 3 or 4 years.  Many left the school, Trilok sir had passed only 11 students out of his 60 student class, that too with the passing mark.





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