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होम में भूत

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                                  होम में भूत  स्थान   / नरेला दिल्ली ११००४०  साल/ २००७ जब मैं होम(जेल नरेला दिल्ली ११००४०)में था। उस समय होम में भूत होने की कहानी पूरे बालको में फेमस थी। इसलिए नही की दूसरे लड़के बताते थे। बल्कि इस बात का विश्वास होम के सभी स्टाफ मेंबर भी मानते थे । होम में भूत देखे जाने की खबर का कई बार शोर मचा था। इसलिए सभी लोग ये मानते थे की होम में भूत रहते है। इसका मैन रीजन यह था कि जहा होम बना था । नरेला होम जहा बना था वहा पहले कब्रिस्तान था। वहा की कब्रे पहले वहा से दूसरी जगह शिफ्ट किया और फिर वहा पर एक मेंटल हॉस्पिटल और डेड बॉडी को जलाने का हीटर लगाया और कुछ सालो बाद उसे रिनोवेट करके वहा पर एक अनाथालय(होम) बनाया गया था। ये बात वहा का सभी स्टॉफ मेम्बर जानते थे। कई बार लाईट रात को चली जाती थी तो सभी लोग ग्राउन्ड में आ जाते थे जबकि अगर आपका मन है तो आप कूटी (१०/२०) का कमरा में आप रेह थे लेकिन लाईट जाने के बाद कोई भी अपने कूटी में नही रहता सभी लोग एक साथ ग्राउंड में आ जाते थे। नरेला होम में कई घटना भी हो चुकी थी। जैसे कि एक रात जब लाईट गई थी तब एक लडको को किसी ने क

यादें/मेरी सबसे बुरी हालत

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             यादें जो सास तक रोक दे बात उस समय की है। जब हम लोग स्कूल की तरफ से घूमने गए थे। हमारी गैंग की टोली भी साथ थी। उस समय हमारा टूर गोल्डन टेंपल का था। मेरे साथ मेरे फ्रेंड्स संजय, दीपक, सौराज, दिलीप, सौरभ,पवन, और भी दोस्त थे । उस समय जब हम गोल्डन टेंपल घूम रहे थे उस समय गर्ल स्कूल की भी टूर आया हुआ था। वह गर्ल भी हमारी एज की थी। लगभग सेम क्लास जब हम गोल्डन टेंपल से बाहर आ रहे थे तो हमारे साथ साथ गर्ल भी बाहर निकल रही थी। रास्ता ज्यादा बड़ा नहीं था। जिसकी वजह से बाहर निकल वाला रास्त भीड़ से भरा था। उस समय लेडी कॉन्स्टेबल हमसे थोड़ी दूर पर चल रहे थे। गेट पे लेडी कॉन्स्टेबल और जेंस कॉन्स्टेबल दोनो थे। लेडी गार्डनर पौधो को पानी दे रही थी। हमारे क्लास टीचर भी हम थोड़ी दुर पर चल रहे थे। मैं, और स्वराज साथ चल रहे थे। बाहर निकलने के लिए हमसे जस्ट आगे लड़कियों का एक ग्रुप हमसे आगे चल रहा था। भीड़ की वजह से हम बिलकुल लड़कियों के पीछे पीछे चल रहे थे। तभी किसी ने ( दोस्त का नाम नहीं बता सकता) मेरे और स्वराज के कांधे के ऊपर से हाथ लेजाकर आगे चल रही लडकी का ब्रेस्ट दबा दिया। और फिर वहा से ह

Flash back एडवेंचर

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                          चिड़िया घर  स्कूल मे हमारा एक ग्रुप था जो लगभग हर स्कूल में होता है जिनमे सामिल थे दीपक , संजय, मैं(शशिराज), दिलीप, सौरज, और हर स्कूल टूर पर साथ होते है। जू में भी हम साथ में थे हम ने पहली बार शेर देखा था जो भूत बड़ा था। टीवी में तो शेर बहुत छोटा सा दिखता था। रियल लाइफ में बहुत ही बड़ा और खतरनाक था। वह था तो लोहे के मजबूत पिजरे मे जिससे डरने वाली बात नही थी लेकिन शेर की एक गुर्राहट ने हम सबकी सासे अटका दिया। पहली बार शेर को इतने करीब से देखा था हम लोगों ने उसके बाद हम लोग सापो वाले घर में गए लेकिन वहा पर भी मरम्मत का काम चल रहा था। जिससे स्नेक घर बंद था। उसके बाद हम लोग चिड़ियों के एक घर में गए जहा तरह तरह के चिड़िया थी जो काफी रंग बिरंगी थी उसके बाद गुरिल्ला हाउस और उसके बाद सभी लोग छोटा हिरण देखने गए। चिड़िया घर में छोटे छोटे ट्रैक बने थे टूरिस्ट के लिए जिनपर बैटरी से चलने बाली छोटी रिक्शा चलती थीं जिनका किराया भी ज्यादा था। धीरे धीरे सभी छात्र वापस एग्जिट गेट पर और एक जगह एकत्रित हुए और गिनती की गई और सभी छात्र बस में बैठ गए और फ्रेशमैंट सभी छात्र को मिला ज

Flash back Story 10/7/2023

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                                                                                  चिड़िया घर  पहला बड़ा (जानवर रखने का स्थान) छोटा मगरमच्छ 🐊 का था जो प्रवेश द्वार के बाईं ओर था एक फूट दीवार होगी सयाद और चारो ओर लोहे की रेलिंग थी दो फूट के करीब पालने वाला मगरमच्छ 🐊 छोटा था जिससे वह बाड़े  से बाहर नहीं जा सकता था मगरमच्छ  🐊कोन में एक जगह पड़ा था बिल्कुल शांत उसके पास पहुंचते ही कुछ लड़के कंकड़ मारने लगे कि मगरमच्छ जिंदा है कि मर गया है।  ये देखने के लिए विधार्थियों ने कंकड उठाकर मारने लगे एक कंकड़ मगरमच्छ के सिर पे लगेगी और वो दूसरी ओर भाग गया। छात्रों की लाइन सिर्फ एंट्री गेट तक थी उसके खराब सारे छात्र अपने अपने ग्रुप में चले गए और मौज मस्ती करने लगे राइट हैंड में एमू पक्षी का स्थान था जिसने चार एमू थे उसके थोड़ी दूर पर सुतुरमुर्ग का बाड़ा था। जिसमें सुतुरमुर्ग थे उसके बाद सफेद बाघ का बाड़ा था जिसका कुछ नहीं था पता चला गया कि बाघ के घर में श्रीमान का काम चल रहा था। उसके बार बिभिन प्रकार के हिरण का  बाड़ा था जिसको देखने में बोर हो गए क्योकी  हिरन को पत्थर फेंक कर नहीं मार सकते थे राइन

चिड़िया घर में परवेश 10/03/2021. P124

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                   चिड़िया घर में परवेश                          /////// स्कूल से मैं ६ कक्षा से ११ कक्षा तक हर बार या यू कहे की हर साल टूर पर जाता था। एक बार मैं और मेरे दोस्त स्कूल की तरफ से टूर पर गए ये तो मुझे याद नहीं की किस क्लास से गए थे। उस दिन कुछ दोस्त जैसे पवन और दिलीप का आने का मन नहीं था लेकिन फिर भी आए। क्योंकि आप सभी लोग जानते है। की स्कूल के टूर का मजा ही कुछ और होता है हमारे दोस्तो में एक बीमार था। लेकिन उसको भी घर जाकर जबरन उठा कर तैयार होने तक रुके और फिर साथ आए जहां स्कूल बस खड़ी थी। सभी लोग दिए वक्त पर आ गए और बस मे बैठने के बाद गिनती हुई सभी स्टूडेंट्स की उसके बाद उसके बाद बस चल पड़ी रास्ते में सर से पूछने पर पता चला की इस बार का टूर चिड़िया घर जायेगा। दो घंटे बस में बैठने के बाद बोर से होने लगे थे। क्योंकि ट्रैफिक बहुत था उस दिन करीब २:५ घण्टे बाद हम लोग चिड़िया घर पहुंच गए और बस से उतर कर लाइन में खड़े हो गए फिर चिड़िया घर का मैनेजर आया और उसने कहा की स्कूल के बच्चो को अलाऊ नही है। क्योंकि वो अंदर जानवरो को परेशान करते है लेकिन तुम लोग बहुत अच्छे बच्चे हो और ऐसा

टूर के अगले दिन स्कूल केसा रहा 19/01/2021 P/123

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           टूर के अगले दिन स्कूल कैसा रहा //////// शाम के करीब ५ बजे होंगे फिर सभी लोग बस के पास आ गए और हमारा टूर ख़तम हुआ सभी लोग बस में बैठकर वापस आ गए। स्कूल के पास बस रुकी और सभी लोग - अपने अपने घर चले गए। अगले दिन क्लास में सभी विद्यार्थी बात कर रहे थे कि सबने क्या - क्या किया सबसे ज्यादा मजा तो ()ले रहा था। कि उसने कैसे लड़की को छेड़ा और नाम शशि राज का आया। और मुझे गुस्सा भी आ रहा था। और आश्चर्य भी था। कि उसके पास इतनी हिम्मत आयी कहा से हम सभी लोगो ने कई - कई बार फोटो खीचा था ओ भी फोन था नोकिया म्यूजिक एक्सप्रेस थोड़ी ही देर में अजय सर क्लास में आए और पूछा कि कल किसने - किसने शरारत किया था तो सबने सोचा कि हा किया तो पिटाई पड़ेगी लेकिन किसी के हा न कहने पर सर ने सबको दाट लगाया कि कल का दिन मौज़- मस्ती करने का था। तो क्यों नहीं किया। वैसे तो रोज स्कूल बंक करते हो और मौज करते हो लेकिन जब मौज करना था। तो कुछ नहीं किया लेकिन से को नहीं पता था। कि उनके प्यारे विद्यार्थियों ने शराफ़त का काम तो कभी किया ही नहीं था। सर ने कहा यही दिन है मौज मस्ती करने का जब बड़े हो जाओगे तो पता चलेगा कि

लोटस टेंपल टूर 24/12/2020. P/122

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                       लोटस टेंपल टूर  //////// टेंपल से निकल कर हमारे ग्रुप ने साइड के ही एक पार्क में खाना खाया और उसके बाद हमारा अगला घूमने का स्थान था राजघाट सभी छात्र के एक साथ आ जाने के बाद हम सभी फिर से स्कूल बस में बैठ कर राजघाट के लिए चल दिए। राजघाट पहुचने के बाद सभी लोग बस से उतरकर एक जगह रुक गए फिर टीचर ने बताया कि यहां पर गांधी जी कि समाधि है। उसके बाद हम लाइन लगकर राजघाट पार्क में प्रवेश कर गए उसके बाद फिर तो को रूल नहीं हम लोग सबसे पहले स्कूल के टीम से अलग हुए। हम सभी दोस्त एक जगह रुक गए जब सभी छात्र आगे निकल गए टीचर के साथ तो हम लोग राजघाट में बिल्कुल अंदर कि तरफ़ चले गए जहां छोटे छोटे तालाब बने हुए थे और बत्तख तैर रही थी तालाब मै कुछ कमल के फूल भी खिले थे। जो देखने में अत्यनंत मोहक लग रहे थे। और तरह तरह के डिज़ाइन के चित्र करी फूलो से कि गई थी छोटे छोटे पौधों को डिज़ाइन से काटा गया था। जो देखने में बहुत ही सुन्दर लग रहे थे। हम तीन दोस्त साथ होकर घूमने लगे कुछ देर तक घूमने के बाद हम तीनो दोस्त बापू कि समाधि के पास बैठ कर बापू कि समाधि पर फूल अर्पण करने वालो को देखने तभी