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13/07/2020. P/101

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हिन्दी/ /////// कई लडके उस लड़की के मां के हाथों पिट चुके थे। लेकिन दिलीप फिर भी उस लड़की के पीछे पड़ा था। हेमन्त , हमेशा ग्राउंड में खेलता रहता था। चन्द्र प्रकाश हमेशा दूसरे दिन बंक हमारे क्लास का मोबाइल मेन जगदीश था। जगदीश हर महीने न्यू मोबाइल लाता था। और सभी क्लास के लडको को दिखाता था। जय प्रकाश पढाई में होसियार था। और मै तो आलसी था हमेशा शनिवार की छुट्टी करता था। और रविवार कि छुट्टी तो होती ही थी। इसलिए सर हमेशा मुझे एक के साथ एक फ्री छुट्टी मारने वाला कहते थे। हमारे मैथ के टीचर राजीव सर थे। दिखने में ही खतरनाक और मैथ के साथ तो साक्षात् यमराज लगते थे। मैथ में उनसे कुछ भी पूछ लो और दूसरे मैथ के टीचर थे कुंडू सर दुर्घटनग्रस्त होने के कारण कुंडू सर थोड़ा बच्चो जैसा बरताव करते थे लेकिन मैथ समझने और पढाने में सबसे बेस्ट थे उनसे सवाल पूछने बाहर कोचिंग के टीचर आते थे। जो और स्टूडेंट के लिए कोचिंग क्लास खोलते थे। मेरी क्लास के बहुत से विद्यार्थी बाहर कोचिंग पड़ते थे। प्रवीण सर घर का गुस्सा हम विद्यार्थियों पर निकलते थे बिना गलती के ही खड़ा क्लास में खड़ा करना और किसी दूसरे दिन कि गलती य...

10/07/2020. P/100

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हिन्दी/ /////// कुछ कमिने जो छूट गए थे। उनकी स्टोरी शुरू क्लास मॉनिटर से करते है। नाम प्रदीप अलीपुर का रहने वाला मेन घर विहार में है किसी के भी ग्रुप में मिल जाना और अपना काम निकाल लेना स्कूल के लगभग सभी टीचर जानते थे। क्योंकि प्रदीप हर टीचर का काम करता रहता था। अजय क्लास का सबसे लंबा लड़का साइज में था इससे बड़ा कोई क्लास में ही नहीं था। प्रदीप के साथ ही मज़े लेता था। विवेक क्लास का सबसे बदनाम लड़का हर काम में आगे सिर्फ पढाई को छोड़कर क्लास में सबसे ज्यादा खुराफाती क्लास के खिड़की पे खड़े होकर गर्ल्स को आवाज देकर बुलाना इल्जाम हमेशा दूसरों पर थोपना। भोला लड़ाई में आगे टीचर का दिया हुआ कोई भी काम नहीं करना किसी दूसरे लडके कि कॉपी देखने के बहाने लेकर टीचर से चेक कराना दिन भर गर्ल्स के बारे में बाते करना। दीपक बॉली बॉल खेलने वाला सरिफ़ लेकिन अगर कहीं लड़ाई हो रही हो तो उसे देखने जरूर जाना चाहे कोई सा भी काम कर रहा हो छोड़ देगा। संजय होम का टीचर के नजर में न आना ज्यादा तर टीचर संजय को क्लास में न आने के बारे में उठाते थे लेकिन जब विद्यार्थी बताते की ये रोज स्कूल आता है तो टीचर छोड़ देते...

08/07/2020. P/99

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हिन्दी/ /////// होम से बहुत से लडके उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लिया था। राजेश ,चिमा , रमेश ये सब भाग गए स्कूल से लगभग ६ थ क्लास पास होते - होते मेरे क्लास में होम के सिर्फ मै और संजय बचे थे। क्लास की लास्ट डेस्क पर  हम लोगो का कब्जा होता था। अगर कोई बैठा भी होता तो वो उठ जाता क्योंकि संजय और दीपक पूरे क्लास में अपनी चलाते थे। क्लास में मॉनिटर प्रदीप को बनाया गया प्रदीप अलीपुर का रहने वाला था। प्रदीप, मेरा और दीपक और संजय की हाजिरी लगा देता था। क्योंकि हम लोग हमेशा क्लास में ही रहते थे। जिस दिन नहीं रहते प्रदीप को बोलते कि हम बंक कर रहे है प्रदीप हाजिरी लगा देता अगर क्लास में टीचर नहीं होते तो या टीचर प्रदीप को बोल कर जाते कि हाजिरी लगा देना हम भी प्रदीप को सपोर्ट करते थे। उसके हा में हा मिलते थे। हम क्लास वाले भी आपस में बहुत झगड़ते थे। लेकिन अगर कोई और सेक्शन का या किसी और क्लास के साथ झगड़ा होता तो सभी एक हो जाते थे। टीचर आके कितना भी पूछे कि झगड़े में कौन - कौन सामिल था तो कोई नहीं बताता चाहे टीचर पूरी क्लास को ही सजा दे - दे लेकिन कोई नहीं बताता स्कूल में तो लडको के...

06/07/2020. P/98

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हिन्दी/ /////// अलीपुर होम के पुराने लडको ने जिसका नाम अजय था। उसने बताया कि एक दिन की बात है। होम के लडके स्कूल से होम आ रहे थे। रास्ते में एक दुकानदार वाला अमरूद बेच रहा था। एक लडके ने एक रुपए का अमरूद मागा तो दुकानदार ने उस लडके को गली देके बोला भाग जा यहां से उसने सभी लडको को आवाज लगाया की था फ्री में अमरूद मिल रहा है। फिर क्या था सभी लडके उसके दुकान पर टूट पड़े उसकी दुकान देखते ही देखते खाली हो गई करीब ७० लडके थे। हर लडके ने अमरूद के साथ दुकान दार जो और फल बेच रहा था ओ भी उठा लिया था हर लड़का अपनी जेब व बैग फल से भर लिया था इतना ही नहीं लडके इतने चालाक थे। की सभी फलो को थोड़ा - थोड़ा खा लिया था जिससे केयर टेकर कोई फल वापस नहीं ले सके क्योंकि जूठा फल न तो दुकानदार लेता न ही ग्राहक केयर टेकर ने कुछ भी नहीं कहा लडको को क्योंकि अगर दुकान वाला एक अमरूद भी दे देता तो इसकी दुकान नहीं लुटती एक अमरूद के चक्कर में पूरी दुकान लूटवा बैठा दुकान दार पुलिस स्टेशन गया तो पुलिस वालो ने इसे समझाया की भाई जो हो गया सो हो गया अब सावधानी रख और एक दो फल किसी को देने से तेरा घाटा नहीं हो जाएगा पर दुक...

04/07/2020. P/97

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हिन्दी/ /////// होम से बहुत से लडके बाहर स्कूल में पड़ने जाते थे। लेकिन ज्यादा तर लडके अपना नाम स्कूल में इसलिए लिखवाते थे। ताकि स्कूल से भाग सके क्योंकि स्कूल से भागना आसान था। लेकिन सिर्फ सिर्फ ६ थ क्लास से उपर पढने वाले के लिए क्योंकि ६ क्लास से या उपर पढने वाले लडके जब भागते थे तब उन्हें कोई ढूंढने नहीं जाता सिर्फ एक एफआईआर थाने में एक एफआईआर की फोटो कॉपी फाइल में लगा दिया जाता और एक वीक के बाद फाइल बंद कर दिया जाता स्कूल से भागने वालों बहुत से लडके थे जिनमें से कुछ के नाम रमेश, चिमा, जनोला इन्हीं के नाम याद रह गया। अलीपुर होम में रहने वाले पुराने लडके बताते थे कि प्राईमरी स्कूल में पड़ने वाले होम के लडके इतने शैतान थे कि रास्ते में पड़ने वाले दुकान दारो के समान उठा लिया करते थे। और दुकान दार कुछ कर भी नहीं पाते थे क्योंकि होम वालो ने दुकान वालो को पहले ही बता रखा था। की भाई ये सभी कस्टडी में ( पागल खाने ) में रहते है तेरा माल भी जाएगा और केस भी नहीं बनेगा पुलिस वाले भी नहीं सुनेंगे कई दुकान वालो की दुकान होम के लडको ने लूट लिया पुलिस थाने में एफआईआर लिखाने गए तो तो पुलिस वालो न...

02/07/2020. P/96

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हिन्दी/ /////// ६वी क्लास पास करने के बाद हमारी क्लास रूम चेंज हो गया। हम लोगो को करनाल रोड के साइड में जो क्लास सेकेंड फ्लोर पर थी। ओ दे दी गई। मेरी क्लास में सबसे शैतान लडको में विवेक, अमन , अजय , प्रदीप, ये मेन थे करीब आधी क्लास के लडके और थे जो इसी नीचे आते थे। हमारी क्लास की खिड़की से रोड दिखता था ओ भी सिर्फ तीस या चालीस मीटर दूर होगा। रोड के साइड में कीकर के पेड़ थे। जिनके नीचे रोड पर चलने वाले बैठ के अपनी थकान मिटाते थे। हमारे स्कूल के सामने ही गर्ल्स स्कूल भी था। गर्ल्स कि सुबह में क्लास ७:३० से १:३० तक होता था। जब गर्ल्स कि छुट्टी होती थी। तो गर्ल्स उसी रोड से गुजरी थी तब सारे लडके खिड़की से उनको नाटी, मोटी , छोटी, डार्लिंग, लमकी, आदि केहके चिल्लाते थे। और गर्ल्स को चिढ़ाते थे। लेकिन गर्ल्स भी पीछे हटने वाली नहीं होती थी। वो भी लडको को फलाईग किस देकर चिढ़ाती थी कभी - कभी तो आई लव यू केहके चिल्लाती थी। तो कभी - कभी गंदी - गंदी गालियां भी देती थी। लेकिन स्कूल के लडके कहा मानने वाले थे। उन्हें तो गर्ल्स के मुख से गंदी गली भी अच्छी लगती थी। जब लडको को चिल्लाते हुए टीचर पकड़ लेत...

28/06/2020. P/95

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हिन्दी/ /////// अलीपुर होम में कुछ लडके थे। जो स्कूल जाना नहीं चाहते थे या  स्कूल से नाम कटवा चुके थे लेकिन ओ येसा इसलिए करते थे कि सभी लडको के स्कूल जाने के बाद है में ओ होम में अपनी मनमर्जी करते थे। टीवी देखना दूसरों लडको की अलमारी तोड़ना या फिर दूसरी का समान चोरी कर लेना ये करना उनको अच्छा लगता था। हर रोज किसी न किसी का सामान गायब होता पेटी से सभी ऑफिस में सीकायत करते इसका सॉल्यूशन ये निकला की होम में एक ओपन स्कूल शुभशिका एजुकेशन सोसाइटी जो ओपन से १२ तक की पड़ाई करवा सकती थी उसे होम में आके अपनी एक साखा खोलने की इजाजत दे दी। जो लडके स्कूल नहीं जाते थे। उसमें उनका दाखिला करवाया गया ऑफिस वालो ने जो बिल्डिंग खाली थी उसे शुभक्षिका वालो को दे दिया होम में बहुत सारे कमरे खाली थे उसमें शुभाक्षिका वाले अपनी क्लास लगाते थे। अब तो को स्कूल जाने से बचते थे उन्हें भी स्कूल जाना पड़ गया क्योंकि स्कूल होम में ही था। टीचर भी अच्छे थे। होम के हेड ऑफिसर ने बल पूर्वक उन लड़कों को शुभक्षीका में भेजने के लिए केयर टेकर को आदेश दिया। जो होम में छुपते थे या स्कूल जाना पसंद नहीं करते थे या को छुप ज...